Gulzar Shayari in Hindi Collection
उम्र जाया कर दी औरों के वजूद में नुक्स निकालते
नहीं रहूँगा मैं तब भी रहूँगा
तुझको बेहतर बनाने की कोशिश में
चखकर देखी है कभी तन्हाई तुमने
तकलीफ खुद ही कम हो गई
कौन कहता है कि हम झूठ नहीं बोलते
बुझ जाएंगी सारी आवाजें यादें यादें रह जाएंगी
अक्सर वही दिये हाथों को जला देते हैं
जिंदगी ये तेरी खरोंचे हैं मुझ पर
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला
ख्वाईशें तो आज भी बगावत करना चाहती है
ऐ उम्र अगर दम है तो कर दे इतनी सी खता
हम ने अकसर तुम्हारी राहों में
मैं कभी सिगरेट पीता नहीं
थम के रह जाती है जिंदगी