Gulzar Shayari in Hindi Collection
उम्र जाया कर दी लोगों ने
ये माना इस दौरान कुछ साल बीत गए
कब आ रहे हो मुलाक़ात के लिए
तेरे शहर तक पहुँच तो जाता
तारीफ़ अपने आप की करना फ़िज़ूल है
पलक से पानी गिरा है तो उसको गिरने दो
भूलने की कोशिश करते हो
मैं तो चाहता हूँ हमेशा मासूम बने रहना
क्या पता कब कहाँ मारेगी
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ
लगता है जिंदगी आज कुछ ख़फ़ा है
ये माना इस दौरान कुछ साल बीत गए हैं
आखिर कह ही डाला उसने एक दिन
तुम मिले तो क्यों लगा मुझे खुद से मुलाकात हो गई
मेरी लिखी हर बात को कोई समझ नहीं पाता