मेरी लिखी हर बात को कोई समझ नहीं पाता
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थोड़ा सुकून भी ढूँढिये जनाब
तेरे शहर तक पहुँच तो जाता
तकलीफ खुद ही कम हो गई
नहीं रहूँगा मैं तब भी रहूँगा
मैं कभी सिगरेट पीता नहीं
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ
ये माना इस दौरान कुछ साल बीत गए
जिंदगी ये तेरी खरोंचे हैं मुझ पर
लगता है जिंदगी आज कुछ ख़फ़ा है
मेरी लिखी हर बात को कोई समझ नहीं पाता