बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला
More Gulzar Shayari in Hindi
बुझ जाएंगी सारी आवाजें यादें यादें रह जाएंगी
नहीं रहूँगा मैं तब भी रहूँगा
मेरी लिखी हर बात को कोई समझ नहीं पाता
तुम मिले तो क्यों लगा मुझे खुद से मुलाकात हो गई
पनाह मिल जाए रूह को जिसका हाथ थामकर
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ
क्या पता कब कहाँ मारेगी
कौन कहता है कि हम झूठ नहीं बोलते
आखिर कह ही डाला उसने एक दिन
तारीफ़ अपने आप की करना फ़िज़ूल है