बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला
More Gulzar Shayari in Hindi
थोड़ा सुकून भी ढूँढिये जनाब
थम के रह जाती है जिंदगी
तुझको बेहतर बनाने की कोशिश में
नहीं रहूँगा मैं तब भी रहूँगा
ये माना इस दौरान कुछ साल बीत गए
अक्सर वही दिये हाथों को जला देते हैं
तेरे शहर तक पहुँच तो जाता
मैं तो चाहता हूँ हमेशा मासूम बने रहना
ऐ उम्र अगर दम है तो कर दे इतनी सी खता
लगता है जिंदगी आज कुछ ख़फ़ा है