ये माना इस दौरान कुछ साल बीत गए
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तेरे शहर तक पहुँच तो जाता
तुम मिले तो क्यों लगा मुझे खुद से मुलाकात हो गई
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला
तारीफ़ अपने आप की करना फ़िज़ूल है
पनाह मिल जाए रूह को जिसका हाथ थामकर
भूलने की कोशिश करते हो
पलक से पानी गिरा है तो उसको गिरने दो
ये माना इस दौरान कुछ साल बीत गए
थम के रह जाती है जिंदगी
मैं तो चाहता हूँ हमेशा मासूम बने रहना