पनाह मिल जाए रूह को जिसका हाथ थामकर
More Gulzar Shayari in Hindi
तेरे शहर तक पहुँच तो जाता
तकलीफ खुद ही कम हो गई
ऐ उम्र अगर दम है तो कर दे इतनी सी खता
थोड़ा सुकून भी ढूँढिये जनाब
मैं तो चाहता हूँ हमेशा मासूम बने रहना
उम्र जाया कर दी औरों के वजूद में नुक्स निकालते
जिंदगी ये तेरी खरोंचे हैं मुझ पर
भूलने की कोशिश करते हो
पनाह मिल जाए रूह को जिसका हाथ थामकर
चखकर देखी है कभी तन्हाई तुमने