पनाह मिल जाए रूह को जिसका हाथ थामकर
More Gulzar Shayari in Hindi
उम्र जाया कर दी औरों के वजूद में नुक्स निकालते
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला
थोड़ा सुकून भी ढूँढिये जनाब
तारीफ़ अपने आप की करना फ़िज़ूल है
कब आ रहे हो मुलाक़ात के लिए
मैं कभी सिगरेट पीता नहीं
अक्सर वही दिये हाथों को जला देते हैं
पनाह मिल जाए रूह को जिसका हाथ थामकर
बुझ जाएंगी सारी आवाजें यादें यादें रह जाएंगी
ऐ उम्र अगर दम है तो कर दे इतनी सी खता