ऐ उम्र अगर दम है तो कर दे इतनी सी खता
More Gulzar Shayari in Hindi
मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला
तुझको बेहतर बनाने की कोशिश में
ख्वाईशें तो आज भी बगावत करना चाहती है
नहीं रहूँगा मैं तब भी रहूँगा
मैं तो चाहता हूँ हमेशा मासूम बने रहना
भूलने की कोशिश करते हो
क्या पता कब कहाँ मारेगी
ये माना इस दौरान कुछ साल बीत गए
अक्सर वही दिये हाथों को जला देते हैं