क्या पता कब कहाँ मारेगी
More Gulzar Shayari in Hindi
मैं तो चाहता हूँ हमेशा मासूम बने रहना
अक्सर वही दिये हाथों को जला देते हैं
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला
हम ने अकसर तुम्हारी राहों में
ये माना इस दौरान कुछ साल बीत गए
तारीफ़ अपने आप की करना फ़िज़ूल है
जिंदगी ये तेरी खरोंचे हैं मुझ पर
थम के रह जाती है जिंदगी
ऐ उम्र अगर दम है तो कर दे इतनी सी खता
बुझ जाएंगी सारी आवाजें यादें यादें रह जाएंगी