क्या पता कब कहाँ मारेगी
More Gulzar Shayari in Hindi
अक्सर वही दिये हाथों को जला देते हैं
थोड़ा सुकून भी ढूँढिये जनाब
भूलने की कोशिश करते हो
तकलीफ खुद ही कम हो गई
मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में
मैं कभी सिगरेट पीता नहीं
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ
कौन कहता है कि हम झूठ नहीं बोलते
मैं तो चाहता हूँ हमेशा मासूम बने रहना
तुम मिले तो क्यों लगा मुझे खुद से मुलाकात हो गई