बुझ जाएंगी सारी आवाजें यादें यादें रह जाएंगी
More Gulzar Shayari in Hindi
हम ने अकसर तुम्हारी राहों में
मैं तो चाहता हूँ हमेशा मासूम बने रहना
मेरी लिखी हर बात को कोई समझ नहीं पाता
जिंदगी ये तेरी खरोंचे हैं मुझ पर
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला
अक्सर वही दिये हाथों को जला देते हैं
तेरे शहर तक पहुँच तो जाता
उम्र जाया कर दी औरों के वजूद में नुक्स निकालते
ये माना इस दौरान कुछ साल बीत गए हैं
थोड़ा सुकून भी ढूँढिये जनाब