थोड़ा सुकून भी ढूँढिये जनाब
More Gulzar Shayari in Hindi
ख्वाईशें तो आज भी बगावत करना चाहती है
मेरी लिखी हर बात को कोई समझ नहीं पाता
मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में
तारीफ़ अपने आप की करना फ़िज़ूल है
तकलीफ खुद ही कम हो गई
कौन कहता है कि हम झूठ नहीं बोलते
अक्सर वही दिये हाथों को जला देते हैं
लगता है जिंदगी आज कुछ ख़फ़ा है
क्या पता कब कहाँ मारेगी
उम्र जाया कर दी लोगों ने