तारीफ़ अपने आप की करना फ़िज़ूल है
More Gulzar Shayari in Hindi
थम के रह जाती है जिंदगी
उम्र जाया कर दी लोगों ने
तुझको बेहतर बनाने की कोशिश में
क्या पता कब कहाँ मारेगी
भूलने की कोशिश करते हो
पनाह मिल जाए रूह को जिसका हाथ थामकर
ख्वाईशें तो आज भी बगावत करना चाहती है
ये माना इस दौरान कुछ साल बीत गए हैं
चखकर देखी है कभी तन्हाई तुमने
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ