ये माना इस दौरान कुछ साल बीत गए हैं
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मैं तो चाहता हूँ हमेशा मासूम बने रहना
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ
पनाह मिल जाए रूह को जिसका हाथ थामकर
कौन कहता है कि हम झूठ नहीं बोलते
हम ने अकसर तुम्हारी राहों में
ये माना इस दौरान कुछ साल बीत गए
थोड़ा सुकून भी ढूँढिये जनाब
तुम मिले तो क्यों लगा मुझे खुद से मुलाकात हो गई
अक्सर वही दिये हाथों को जला देते हैं
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला