ख्वाईशें तो आज भी बगावत करना चाहती है
More Gulzar Shayari in Hindi
चखकर देखी है कभी तन्हाई तुमने
ख्वाईशें तो आज भी बगावत करना चाहती है
ये माना इस दौरान कुछ साल बीत गए हैं
क्या पता कब कहाँ मारेगी
मैं तो चाहता हूँ हमेशा मासूम बने रहना
तारीफ़ अपने आप की करना फ़िज़ूल है
तकलीफ खुद ही कम हो गई
भूलने की कोशिश करते हो
तुम मिले तो क्यों लगा मुझे खुद से मुलाकात हो गई
लगता है जिंदगी आज कुछ ख़फ़ा है