ख्वाईशें तो आज भी बगावत करना चाहती है
More Gulzar Shayari in Hindi
कौन कहता है कि हम झूठ नहीं बोलते
मैं कभी सिगरेट पीता नहीं
अक्सर वही दिये हाथों को जला देते हैं
नहीं रहूँगा मैं तब भी रहूँगा
तारीफ़ अपने आप की करना फ़िज़ूल है
आखिर कह ही डाला उसने एक दिन
ऐ उम्र अगर दम है तो कर दे इतनी सी खता
ख्वाईशें तो आज भी बगावत करना चाहती है
भूलने की कोशिश करते हो
बुझ जाएंगी सारी आवाजें यादें यादें रह जाएंगी