ख्वाईशें तो आज भी बगावत करना चाहती है
More Gulzar Shayari in Hindi
तेरे शहर तक पहुँच तो जाता
पलक से पानी गिरा है तो उसको गिरने दो
जिंदगी ये तेरी खरोंचे हैं मुझ पर
मैं तो चाहता हूँ हमेशा मासूम बने रहना
मेरी लिखी हर बात को कोई समझ नहीं पाता
नहीं रहूँगा मैं तब भी रहूँगा
अक्सर वही दिये हाथों को जला देते हैं
चखकर देखी है कभी तन्हाई तुमने
थोड़ा सुकून भी ढूँढिये जनाब
ये माना इस दौरान कुछ साल बीत गए