अक्सर वही दिये हाथों को जला देते हैं
More Gulzar Shayari in Hindi
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला
तुझको बेहतर बनाने की कोशिश में
भूलने की कोशिश करते हो
बुझ जाएंगी सारी आवाजें यादें यादें रह जाएंगी
तारीफ़ अपने आप की करना फ़िज़ूल है
थोड़ा सुकून भी ढूँढिये जनाब
पनाह मिल जाए रूह को जिसका हाथ थामकर
हम ने अकसर तुम्हारी राहों में
चखकर देखी है कभी तन्हाई तुमने
ख्वाईशें तो आज भी बगावत करना चाहती है