तकलीफ खुद ही कम हो गई
More Gulzar Shayari in Hindi
तेरे शहर तक पहुँच तो जाता
उम्र जाया कर दी लोगों ने
लगता है जिंदगी आज कुछ ख़फ़ा है
जिंदगी ये तेरी खरोंचे हैं मुझ पर
क्या पता कब कहाँ मारेगी
तारीफ़ अपने आप की करना फ़िज़ूल है
बुझ जाएंगी सारी आवाजें यादें यादें रह जाएंगी
पनाह मिल जाए रूह को जिसका हाथ थामकर
तुम मिले तो क्यों लगा मुझे खुद से मुलाकात हो गई
उम्र जाया कर दी औरों के वजूद में नुक्स निकालते