चखकर देखी है कभी तन्हाई तुमने
More Gulzar Shayari in Hindi
आखिर कह ही डाला उसने एक दिन
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला
चखकर देखी है कभी तन्हाई तुमने
ये माना इस दौरान कुछ साल बीत गए
भूलने की कोशिश करते हो
तुम मिले तो क्यों लगा मुझे खुद से मुलाकात हो गई
तुझको बेहतर बनाने की कोशिश में
पलक से पानी गिरा है तो उसको गिरने दो
बुझ जाएंगी सारी आवाजें यादें यादें रह जाएंगी
हम ने अकसर तुम्हारी राहों में