चखकर देखी है कभी तन्हाई तुमने
More Gulzar Shayari in Hindi
पनाह मिल जाए रूह को जिसका हाथ थामकर
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला
मैं कभी सिगरेट पीता नहीं
पलक से पानी गिरा है तो उसको गिरने दो
आखिर कह ही डाला उसने एक दिन
अक्सर वही दिये हाथों को जला देते हैं
क्या पता कब कहाँ मारेगी
तेरे शहर तक पहुँच तो जाता
ऐ उम्र अगर दम है तो कर दे इतनी सी खता
हम ने अकसर तुम्हारी राहों में