उम्र जाया कर दी औरों के वजूद में नुक्स निकालते
More Gulzar Shayari in Hindi
आखिर कह ही डाला उसने एक दिन
कब आ रहे हो मुलाक़ात के लिए
मैं तो चाहता हूँ हमेशा मासूम बने रहना
थोड़ा सुकून भी ढूँढिये जनाब
बुझ जाएंगी सारी आवाजें यादें यादें रह जाएंगी
ये माना इस दौरान कुछ साल बीत गए हैं
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला
तेरे शहर तक पहुँच तो जाता
हम ने अकसर तुम्हारी राहों में
तुझको बेहतर बनाने की कोशिश में