उम्र जाया कर दी औरों के वजूद में नुक्स निकालते
More Gulzar Shayari in Hindi
चखकर देखी है कभी तन्हाई तुमने
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला
मेरी लिखी हर बात को कोई समझ नहीं पाता
ये माना इस दौरान कुछ साल बीत गए
थोड़ा सुकून भी ढूँढिये जनाब
तारीफ़ अपने आप की करना फ़िज़ूल है
लगता है जिंदगी आज कुछ ख़फ़ा है
तुम मिले तो क्यों लगा मुझे खुद से मुलाकात हो गई
जिंदगी ये तेरी खरोंचे हैं मुझ पर
कौन कहता है कि हम झूठ नहीं बोलते