लिख रह हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज़ आएगा
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सिने पर जो ज़ख्म है सब फूलों के गुच्छे हैं
राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है
मैं एक मानव हूँ और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित
इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने काम के
इंसानों को कुचलकर आप उनके विचारो को नही मार सकते
दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उल्फत
व्यक्ति की हत्या करना सरल है
क्रांतिकारी सोच के दो आवश्यक लक्षण है
अपने दुश्मन से बहस करने के लिये उसका अभ्यास
लिख रह हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज़ आएगा