अपने दुश्मन से बहस करने के लिये उसका अभ्यास
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लिख रह हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज़ आएगा
क्रांतिकारी सोच के दो आवश्यक लक्षण है
जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है
यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत
अपने दुश्मन से बहस करने के लिये उसका अभ्यास
महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं
मेरा धर्म देश की सेवा करना है
राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है
दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उल्फत
सिने पर जो ज़ख्म है सब फूलों के गुच्छे हैं