अपने दुश्मन से बहस करने के लिये उसका अभ्यास
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मेरा धर्म देश की सेवा करना है
लिख रह हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज़ आएगा
क्रांतिकारी सोच के दो आवश्यक लक्षण है
सिने पर जो ज़ख्म है सब फूलों के गुच्छे हैं
राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है
मैं एक मानव हूँ और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित
महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं
जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है
इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने काम के
मेरा धर्म सिर्फ देश की सेवा करना है