राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है
More Shahid Bhagat Singh Quotes in Hindi
मैं एक मानव हूँ और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित
दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उल्फत
अपने दुश्मन से बहस करने के लिये उसका अभ्यास
लिख रह हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज़ आएगा
मेरा धर्म देश की सेवा करना है
सिने पर जो ज़ख्म है सब फूलों के गुच्छे हैं
यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत
राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है
महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं
इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने काम के