दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उल्फत
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यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत
इंसानों को कुचलकर आप उनके विचारो को नही मार सकते
मेरा धर्म देश की सेवा करना है
क्रांतिकारी सोच के दो आवश्यक लक्षण है
दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उल्फत
राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है
इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने काम के
अपने दुश्मन से बहस करने के लिये उसका अभ्यास
मेरा धर्म सिर्फ देश की सेवा करना है
जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है