दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उल्फत
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दिल से निकलेगी न मरकर भी वतन की उल्फत
मेरा धर्म देश की सेवा करना है
जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है
यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत
व्यक्ति की हत्या करना सरल है
अपने दुश्मन से बहस करने के लिये उसका अभ्यास
इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने काम के
लिख रह हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज़ आएगा
क्रांतिकारी सोच के दो आवश्यक लक्षण है
महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं