मिला हूँ ख़ाक में ऊँची मगर औकात रखी है
तुम्हारी बात थी आखिर तुम्हारी बात रखी है
भले ही पेट की खातिर कहीं दिन बेच आया हूँ
तुम्हारी याद की खातिर भी पूरी रात रखी है
More Aukat Shayari in Hindi
मिला हूँ ख़ाक में ऊँची मगर औकात रखी है
मिला हूँ ख़ाक में ऊँची मगर औकात रखी है
तुम्हारी बात थी आखिर तुम्हारी बात रखी है
भले ही पेट की खातिर कहीं दिन बेच आया हूँ
तुम्हारी याद की खातिर भी पूरी रात रखी है